Edited By : Rakesh Singh | May 20, 2025, 7:08:00 AM
Waqf Bill: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 20 मई को पूरे दिन सुनवाई करेगा। उम्मीद है कि सर्वोच्च न्यायालय इस दौरान इस मामले में अंतरिम आदेश भी पारित कर सकता है। इससे पहले, 15 मई को न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने सुनवाई को स्थगित करते हुए कहा था कि वह 20 मई को तीन मुख्य मुद्दों पर अंतरिम निर्देश देने के लिए दलीलें सुनेगी।
अदालतों, वक्फ-बाय-यूजर या वक्फ डीड के ज़रिए घोषित संपत्तियों को डिनोटिफाई करने की केंद्र सरकार की शक्ति पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि इन संस्थाओं में पदेन सदस्यों को छोड़कर केवल मुसलमानों को ही नियुक्त किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है कि यदि कलेक्टर यह निर्धारित करता है कि कोई संपत्ति सरकारी भूमि है, तो उसे वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को 19 मई तक अपने-अपने लिखित पक्ष दाखिल करने का निर्देश दिया था। दोनों पक्षों ने न्यायालय को बताया कि न्यायाधीशों को दलीलों पर विचार करने के लिए अधिक समय की आवश्यकता हो सकती है। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार पहले ही यह आश्वासन दे चुकी है कि वक्फ-बाय-यूजर सहित किसी भी वक्फ संपत्ति को फिलहाल डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और न ही नए कानून के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति की जाएगी।
पीठ ने स्पष्ट किया है कि 20 मई की सुनवाई में वह 1995 के पूर्ववर्ती वक्फ कानून के प्रावधानों पर रोक लगाने से संबंधित किसी याचिका पर विचार नहीं करेगी। पहले यह मामला पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष था, लेकिन उनके 13 मई को सेवानिवृत्त होने के बाद इसे न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली नई पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया है। इससे पहले, 17 अप्रैल को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया था कि 5 मई तक वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और न ही किसी प्रकार की नियुक्ति की जाएगी। हालांकि, केंद्र ने वक्फ संपत्तियों के डिनोटिफिकेशन और केंद्रीय परिषदों व बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधानों पर रोक लगाने के प्रस्ताव का विरोध किया था।
25 अप्रैल को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने संशोधित वक्फ अधिनियम, 2025 का समर्थन करते हुए सुप्रीम कोर्ट में 1,332 पृष्ठों का प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया। मंत्रालय ने "संसद द्वारा पारित, संवैधानिकता के अनुमान वाले कानून" पर किसी भी प्रकार की "पूर्ण रोक" का विरोध किया। बताते चलें कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को केंद्र सरकार ने 5 अप्रैल को अधिसूचित किया था, जब इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिली थी। यह विधेयक लोकसभा में 288 के मुकाबले 232 मतों से और राज्यसभा में 128 के मुकाबले 95 मतों से पारित हुआ था।
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